Shekespearology Vs. Vyaasology
मैंने, भारत में कई सालों से William
Shakespeare का नाम बहुत प्रचलित होते देखा है। हमारे School के Literature में, College के Literature में और उन पर लिखी बहुत सी किताबों आदि में । Yong generation के मुख से, T.V. पर और फिल्मों आदि मैं उनका नाम सुनने को मिलता रहता है। Shakespeare पर बहुत सी किताबे, Thesis ओर
Movies भी बनी हुई हैं।
मुझे ऐसा लगता है की भारत की सबसे बड़ी
विशेषता ये है की उसके पास पुश्तों-से-प्राप्त पत्तों-पर-लिखे-लेख के रूप में एक
प्राचीन-धरोहर उपलब्ध है, जिसका नाम है वेद। लोग अक्सर वेदों को धर्म
से जोड़ते हैं पर मेरा ये मानना है की वेद उस से भी ऊपर हैं । मैंने अपनी विद्या CBSE
Syllabus में पूरी की है और
अपने पूरे जीवन में (पहली Class से Graduation तक) कभी भी किसी पुस्तक में माहाऋषि वैदव्यास जी का नाम नहीं देखा जिन्होंने
ये सारे वेद लिखे हैं।
माहाऋषि वैदव्यास जी के लिखे लेखों
के सामने William Shakespeare के Fiction-Based-Literature
की क्या औक़ात।
पर ना जाने क्यूँ इंडिया मे बड़े बड़े सेमिनार William Shakespeare के नाम से, उसी की याद में, होते
हुए दिखाई देते हैं लेकिन माहाऋषि वैदव्यास जी को कोई याद नही करता।
William Shakespeare का Birthday तो पूरी दुनिया मानती है even Google Search
Engine उसदिन अपना Logo Change कर देता है क्या कभी व्यासजयंती पर ऐसा होते देखा है, नहीं । व्यासजयंती बस कुछ वैष्णव
मंदिरों तक ही सीमित है। कब आई और कब गई पता भी नहीं लगता।
मुझे एक बात समझ मे नहीं आती की Yong Generation को "to be or not to be"
(William Shakespeare) के इस बेतुके (Meaning less) Dialogue मे क्या गहराई दिखाई देती है जो उन्हे "सर्वे भवंतु सुखिना सर्वे संतु निरामया........" (Maha Rishi Vaidvyaash Ji) के लिखे श्लोक में नहीं दिखाई दे रही।
विलियम शेक्सपियर की सीमा बस इतनी है की
William Shakespeare = Poet, Writer,
Theater Artist and he died with unknown disease after over drinking with his
friends.
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महा ऋषि वैदव्यास जी = Poet, Writer, Philosopher, Scientist, Doctor, Politician, Historian,
Mathematician, Astronomer, Dean or Principal (आचार्य) of
a School (आश्रम), War-Ideologist,
Gnostic, Theologian, Prognosticator, Yogi, ज्योतिष-विशारद
, गंधर्व-विद्या-विशारद, ब्रह्मऋषि, and so on………………………………………………………………………………. He is
known to be immortal (who never dies) and currently lives in the immortal realm known as Tapa Loka.
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मेरा ये मानना है के
वेद और पुराण केवल धर्म ग्रंथ नहीं हैं वो Poetry भी
है, Art भी है, Science भी है, Philosophy भी है, Dictionary भी है, Mathematics भी है, Psychology भी है, Politics भी है Physics, Chemistry, Biology भी और बहुत कुछ है जिसकी सीमा नहीं।
द्वापर युग के अंत में श्री कृष्ण चंद्र भगवान
के इस धराधाम के छोड़ कर जाने के बाद माहाऋषि वैदव्यास जी ने प्राचीन दिव्य वेदों को, जो कठिन
भाषा में लिखे गए थे (Maybe ancient संस्कृत language
which is used by सिंधु-घाटी-सभ्यता ), छोटा करके
आसान भाषा (आधुनिक संस्कृत) में 18 पुराणों 28 उपपूराणों बहुत सारी समृतियों और संहिताओं
में बदल दिया जिस से की कलयुगी मानव उसे समझ सके।
लेकिन आज उन ग्रन्थों का
फाइदा भारतीय कम विदेशी ज्यादा उठा रहे हैं।
Written By: Yogeshwar Sharma
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