Tuesday, May 21, 2013

Remains of India in India


वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक, मेरा ऐसा मानना है की, भगवान श्रीकृशन चंद्र जी का स्वरूप सदा से चिंतन का विषय रहा है । जहां एक तरफ भारतीय सनातन धर्म का पालन कर्ताओं, सेंकड़ों वैष्णवों, शेवों, और बहुत से हिन्दू साम्प्र्दायों के बीच भगवान श्रीकृषण रास, रस, और भक्ति के सूत्र बने हुए हैं । वहीं दूसरी तरफ आधुनिक लोगों और पाश्चात्य सभ्यता से आकर्षित लोगों के बीच मे हमेशा से ही तर्क, वितर्क और कुतर्क का विषय बन कर रेह रहे हैं । मेरा, मेरे अपने शब्दों मे, ये कहना है की भारत मे भारत के केवल अवशेष ही बाकी रेह गए है

अर्थार्त मैं अपनी कल्पना मे भारत को दो खंडों मे समझता हूँ एक हैं People who Inspired by Westernization और दूसरे Infatuated Totally Western People.

1.         People who Inspired by Westernization.
ये वो लोग हैं जो Westernization से Inspired हैं जिनके जीवन की दिनचर्या Mobile Phone के Alarm से शुरू होकर कारों Two Wheelers, four Wheelers और Traffic के धक्कों से होती हुई Office के Un-ethical Policies को follow करते हुए Computer, Scanner, Files, Coffee Machine, Heavy schedule of private section और Low work load in Government Section की गप्पे हाँकती दुनिया से होती हुई शाम को चाय, दारू, Heavy Food, T.V. Shows को देखते हुए खत्म हो जाती है। इन लोगों के weekends Cricket Match, Shopping Malls, Parties, Movies in Digital Theaters आदि मे निकल जाते है।  ऐसा नहीं है की ये लोग अपने culture को follow नहीं करते, करते हैं लेकिन एक unique तरीके से वो कुछ इस प्रकार:
1.   
मंदिर के आगे से निकलते हुए नमस्कार करके (on Vehicle)
जबकि हमारे धर्म ग्रन्थों मे यात्री को पूजा स्थल पर रुककर अपना पूजा नमस्कार आदि अनुष्ठान करना चाहिए ना की गतिमान अवस्था मैं                 
2.   
दिवाली पर पठाके चला कर
जबकि भारतीय आर्य प्रणाली मे पठाको का दूर दूर तक कोई स्थान नहीं है।
3.   
विवाहों, धार्मिक अनुष्ठानो पर जाना और भोजन करके लौट आना
भले अनुष्ठान चलता रहे।     
4.   
त्योहारों आदि पर chocolates और candies बाँट कर। क्यूँ ना बांटी जाये जब किसी मशहूर विदेशी company ने खूब कहा है की शुभारंभ (Company की पहली meeting मे campaign decide किया गया), कुछ मीठा हो जाये (दूसरी meeting मे campaign decide किया गया) और कोई भी शुभ काम करने से पहले कुछ मीठा खालेना चाहिए, काम अच्छा होता है। (आखरी meeting मे campaign decide किया गया)
जबकि हमारी प्राचीन आर्य पद्धति के मुताबिक कोई भी शुभ काम करने से पहले कुछ खट्टा खालेना चाहिए, काम अच्छा होता है। वाघभट के मुताबिक दहि खाकर जाना सबसे शुभ होता है।

1॰ Infatuated Totally Western People:-
ये वो लोग हैं जो completely western  हो गए हैं। ये वो समुदाय है जो भारतीय सनातन धर्म का बिलकुल पालन नहीं करता।  इनमे से कुछ अपना सनातन धर्म बदल चुके हैं और किसी नए धर्म का पालन करते हैं।  इस समुदाय का मुख्य भाग Young Generation है।  मैं इन्हे Bindass TV Generation कहूँगा। इनकी गुरुकुल विद्या Boy Friend (BF) Girl Friend (GF) के Relation से शुरू होकर Affair से Breakup और Again Affair & Again Breakup, गुप्त Public places or PG Apartments मे Make-Out से लेकर Extra Marital Affairs तक चलती रहती है। ये समुदाय किसी साम्प्रदाय का हिस्सा नहीं बनना चाहते। 


उक्त बातों का सारांश ये है की भारत के दोनों ही समुदाय अपने भारतीय Culture  से बिलकुल दूर हो चुके है। ऐसी अवस्था मैं ईश्वर के प्रति बहुत से भ्रांति ऊत्पन्न करने वाले मत प्रचलित हो गए हैं। सनातन ईश्वर के प्रति लोग कई तरहा के तर्क, वितर्क, कुतर्क देने लगे हैं। पाश्चात्य वैज्ञानिक पद्धति के जरिए ईश्वर के होने पर ही शंका उत्पन्न करते है बल्कि उनके होने का पूरा खंडन करते हैं। मुझे पाश्चात्य सभ्यता और भारतीय सभ्यता का आपसी सम्बंध ऐसा लगा है मानो एक नोजवान बेटा (पाश्चात्य सभ्यता) अपने पिता (भारतीय सभ्यता) से ये कहे की पिता जी आपको क्या पता मैं आप से पहले पैदा हुआ था और जवाब मे पिता के पास अपने पुत्र की बेवकूफी के ऊपर हंस कर चुप रहने के इलावा कोई चारा नहीं होता ये सोच कर की समय अपने आप उसकी अकाल ठिकाने लगा दे गा। 

Written By: Yogeshwar Sharma

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