America before 9000 years - (Vs) - India before 9000 years
My dear friends एक बात मैं आप लोगों को बताना चाहता हूँ की 9000 साल का क्या रहस्य है।
मैंने बहुत से Archeologists द्वारा लिखी किताबे पड़ी है। पर ना जाने क्यूँ कोई भी Archeologist, किसी भी Civilization की सही तारीख नहीं लिख पाया। Even, Archeologists की आपस में भी dates match नहीं करती हैं। कोई Civilization को 5000 साल पुरानी बता रहा है तो कोई Archeologist 9000 साल से 5500 के बीच की बता रहा है। मैंने एक pattern ओर देखा, यदि कोई भी Indian Archeologist किसी Civilization की कोई date mention करता है तो European Archeologist की Ego heart हो जाती है और एक साल के अंदर-अंदर वो एक ऐसी पुस्तक निकालता है जिससे की Indian Archeologist की dates को गलत साबित किया जाये।
शायद इसके पीछे कारण है की अगर Indian Archeologist की dates को सही मान लिया जाये तो Aryan Invasion Theory fake हो जाएगी अगर वो fake हो गई तो Caucasian people पीछे रह जाएँगे ओर हम आगे हो जाएँगे।
The Theory of Human evolution को ही ले लो, अब तो वो बिलकुल ही fake proved हो गयी है। लेकिन हमारे CBSE के Syllabus मे ये एसे पढ़ाई जाती है जैसे की ये Theory नहीं Fact हो। Theory का मतलब ही है की जो fact नहीं है ।
एक चीज़ और देखने वाली है की हम किसी भी धार्मिक किताब को पड़ें और उसमे लिखे historical events को आधुनिक history के events से match करें तो वो बिलकुल match नहीं करते । फिर चाहे वो Bible हो या महाभारत।
कुछ दिन अपने मन को शांत रखने के बाद मेंने सोचा, ऐसे बात नहीं बनेगी, कुछ तो गड़बड़ है। क्या कारण है की आधुनिक history और वेदिक history में दिया गया time period आपस में match नहीं करता। थोड़ा अध्ययन करने के बाद मुझे, मेरी नज़र में, दो बड़े कारण सामने आए।
एक तो वही Europeans की ego और दूसरी जो सबसे बड़ी फसाद की जड़ है, जिसने सबसे ज्यादा सत्यानास किया है वो है एक Unreliable Technology known as Radio Carbon Dating जो सिर्फ 100 में से 65 ही approximate सही Results देती है। कई वैज्ञानिकों ने इसे Not foolproof technology भी कहा। और भी बहुत सी ऐसी Dating की Unreliable Technologies मोजूद हैं। यानि जब तक ये Not foolproof Dating Technologies है तब तक वेदिक dates आधुनिक dates से कभी भी किसी भी हालात में match नहीं करेगी।
Schools, Colleges में और दूसरी आधुनिक history की किताबों को पढ़ कर reader को ये तो यकीन हो ही जाता है की वेद और पुराण सब जूठे है, उनमे कोई सच्चाई नहीं। एक दो साल तक तो मैं भी इस बात को मान कर चलता रहा।
पर फिर कुछ दिनों बाद मेरे मन में एका-एक ये विचार आया की अगर वेद पुराण झूठे हैं फिर तो ये 90 करोड़ 86 लाख 70 हजार 9 सो 80 शलोकों का दुनिया का सबसे बड़ा झूठ हुआ। यानि के ऐसा झूठ जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोग बोलते और लिखते आ रहे हैं। यानि के ये किसी एक आदमी का काम नहीं है ये झूठो की महान सेना का काम है।
इस नज़रिये से देखा जाये तो सबसे पहले तो ब्रह्मा जी झूठे फिर दक्ष प्रजापति झुटा , कश्यप ऋषि झुठे, महाराज मनु झुठे, नारद मुनि झुठे, वाल्मीकि जी झुठे, गोतम जी झुठे, विश्वामित्र जी झुठे, वशिष्ठ जी झुठे, अत्री जी झुठे, भृगु जी झुठे, भारद्वाज जी झुठे, मार्कन्डेय जी झुठे, गरुड जी झुठे, धन्वन्तरी झुठे, सुश्रुत झुठे, निघंटु झूठा, आर्यभट्ट झूठा, काली दास झूठा, आदि गुरु शंकराचार्य जी झुठे, श्री चैतन्य महाप्रभु झुठे, कबीर झूठा, सूरदास झूठा, रविदास झूठा, हरीदास झूठा, तुलसीदास झूठा, नानक झूठा, जैन तीर्थंकर झुठे, बौद्ध जातकम झुठे, स्वामी विवेकानंद झुठे, श्री जगदीश चंद्र बॉस झुठे (जिनहोने Europeans को पहली बार ये prove करके बताया था के, भाई, पेड़ पोधे भी सांस लेते हैं ओर वे जीवित हैं। जिसे सुनकर Europeans के दीदे फट गए थे) Dr. S.R. Rao झुठे।
अब ज़रा गौर फरमाइए की सच्चा कोन:-
अभी अभी पैदा हुए दस पंद्रह European, American Archeologists और अभी अभी इजात हुई कुछ Unreliable Dating Technologies (Radio Carbon dating, Thermoluminescence dating, Optically stimulated luminescence, Potassium-argon dating etc. etc.)
So, dear मैंने जो 9000 सालों का अनुमान लिखा है वो वेदों के आधार पर लिखा है। क्यूंकी मैं जानता हूँ की आदम (Adam) और हव्यावती (Eve) की एक संतान थी जिसका नाम था "श्वेत" उस ही से कई Neanderthals, Caucasian people, अंग्रेज़ और बहुत सारी म्ल्लेछ जातियां-प्रजातियाँ-उपप्रजातियाँ पैदा हुई जिनको count करना मुश्किल है।
मैंने बहुत से Archeologists द्वारा लिखी किताबे पड़ी है। पर ना जाने क्यूँ कोई भी Archeologist, किसी भी Civilization की सही तारीख नहीं लिख पाया। Even, Archeologists की आपस में भी dates match नहीं करती हैं। कोई Civilization को 5000 साल पुरानी बता रहा है तो कोई Archeologist 9000 साल से 5500 के बीच की बता रहा है। मैंने एक pattern ओर देखा, यदि कोई भी Indian Archeologist किसी Civilization की कोई date mention करता है तो European Archeologist की Ego heart हो जाती है और एक साल के अंदर-अंदर वो एक ऐसी पुस्तक निकालता है जिससे की Indian Archeologist की dates को गलत साबित किया जाये।
शायद इसके पीछे कारण है की अगर Indian Archeologist की dates को सही मान लिया जाये तो Aryan Invasion Theory fake हो जाएगी अगर वो fake हो गई तो Caucasian people पीछे रह जाएँगे ओर हम आगे हो जाएँगे।
The Theory of Human evolution को ही ले लो, अब तो वो बिलकुल ही fake proved हो गयी है। लेकिन हमारे CBSE के Syllabus मे ये एसे पढ़ाई जाती है जैसे की ये Theory नहीं Fact हो। Theory का मतलब ही है की जो fact नहीं है ।
एक चीज़ और देखने वाली है की हम किसी भी धार्मिक किताब को पड़ें और उसमे लिखे historical events को आधुनिक history के events से match करें तो वो बिलकुल match नहीं करते । फिर चाहे वो Bible हो या महाभारत।
कुछ दिन अपने मन को शांत रखने के बाद मेंने सोचा, ऐसे बात नहीं बनेगी, कुछ तो गड़बड़ है। क्या कारण है की आधुनिक history और वेदिक history में दिया गया time period आपस में match नहीं करता। थोड़ा अध्ययन करने के बाद मुझे, मेरी नज़र में, दो बड़े कारण सामने आए।
एक तो वही Europeans की ego और दूसरी जो सबसे बड़ी फसाद की जड़ है, जिसने सबसे ज्यादा सत्यानास किया है वो है एक Unreliable Technology known as Radio Carbon Dating जो सिर्फ 100 में से 65 ही approximate सही Results देती है। कई वैज्ञानिकों ने इसे Not foolproof technology भी कहा। और भी बहुत सी ऐसी Dating की Unreliable Technologies मोजूद हैं। यानि जब तक ये Not foolproof Dating Technologies है तब तक वेदिक dates आधुनिक dates से कभी भी किसी भी हालात में match नहीं करेगी।
Schools, Colleges में और दूसरी आधुनिक history की किताबों को पढ़ कर reader को ये तो यकीन हो ही जाता है की वेद और पुराण सब जूठे है, उनमे कोई सच्चाई नहीं। एक दो साल तक तो मैं भी इस बात को मान कर चलता रहा।
पर फिर कुछ दिनों बाद मेरे मन में एका-एक ये विचार आया की अगर वेद पुराण झूठे हैं फिर तो ये 90 करोड़ 86 लाख 70 हजार 9 सो 80 शलोकों का दुनिया का सबसे बड़ा झूठ हुआ। यानि के ऐसा झूठ जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोग बोलते और लिखते आ रहे हैं। यानि के ये किसी एक आदमी का काम नहीं है ये झूठो की महान सेना का काम है।
इस नज़रिये से देखा जाये तो सबसे पहले तो ब्रह्मा जी झूठे फिर दक्ष प्रजापति झुटा , कश्यप ऋषि झुठे, महाराज मनु झुठे, नारद मुनि झुठे, वाल्मीकि जी झुठे, गोतम जी झुठे, विश्वामित्र जी झुठे, वशिष्ठ जी झुठे, अत्री जी झुठे, भृगु जी झुठे, भारद्वाज जी झुठे, मार्कन्डेय जी झुठे, गरुड जी झुठे, धन्वन्तरी झुठे, सुश्रुत झुठे, निघंटु झूठा, आर्यभट्ट झूठा, काली दास झूठा, आदि गुरु शंकराचार्य जी झुठे, श्री चैतन्य महाप्रभु झुठे, कबीर झूठा, सूरदास झूठा, रविदास झूठा, हरीदास झूठा, तुलसीदास झूठा, नानक झूठा, जैन तीर्थंकर झुठे, बौद्ध जातकम झुठे, स्वामी विवेकानंद झुठे, श्री जगदीश चंद्र बॉस झुठे (जिनहोने Europeans को पहली बार ये prove करके बताया था के, भाई, पेड़ पोधे भी सांस लेते हैं ओर वे जीवित हैं। जिसे सुनकर Europeans के दीदे फट गए थे) Dr. S.R. Rao झुठे।
अब ज़रा गौर फरमाइए की सच्चा कोन:-
अभी अभी पैदा हुए दस पंद्रह European, American Archeologists और अभी अभी इजात हुई कुछ Unreliable Dating Technologies (Radio Carbon dating, Thermoluminescence dating, Optically stimulated luminescence, Potassium-argon dating etc. etc.)
So, dear मैंने जो 9000 सालों का अनुमान लिखा है वो वेदों के आधार पर लिखा है। क्यूंकी मैं जानता हूँ की आदम (Adam) और हव्यावती (Eve) की एक संतान थी जिसका नाम था "श्वेत" उस ही से कई Neanderthals, Caucasian people, अंग्रेज़ और बहुत सारी म्ल्लेछ जातियां-प्रजातियाँ-उपप्रजातियाँ पैदा हुई जिनको count करना मुश्किल है।
Written by: Yogeshwar Sharma